Sunday, 1 August 2021
भारत हमेशा ओलंपिक में पीछे ही क्यों रहता है ?
अभी तक ओलंपिक में भारत को बस दो मेडल मिले है वही चीन ने मेडल की लाइन लगा रखी है । सवाल उठता है कि अब की बार तो भारत सरकार ने जम कर पैसा लुटाया था खिलाड़ियों पर फिर भी वो मेडल लाने में नाकामयाब रहे । ऐसा कौन सा कारण था जिससे की बहुत सारे खिलाड़ी तो क्वार्टर फाइनल तक नही पहुंच पाए। ऐसा प्रदर्शन निराशा पैदा करता है । लेकिन हमें गहराइयों में जाके देखना होगा हम कहां गलती कर रहे है।सरकार ने इंफ्रा तैयार किया। कोच दिए ।लेकिन एक गलती कर दी की कि हम तुम्हें नहीं ढूंढेंगे तुम खुद हमारे पास आओ। किसी भी खेल के लिए उसका शारीरिक अनुरूप होना जरूरी है, जैसे जिम्नास्ट के लिए लचीलापन होना बहुत जरूरी होता है।अब धरातल पर चलते हैं और जानते हैं कि असल में हो क्या रहा है। जितने भी खेल आयोजन होते हैं या साईं मैं सिलेक्शन होते हैं उनमें से 90% शिफारशी लाल होते हैं। वे शिफारशी लाल किसी नेता के चाचा भतीजे वगैरा होते हैं जो कि सरकारी नौकरी के लालच में इनको ज्वाइन करते हैं। ज्यादातर उनमें से शारीरिक रूप से अक्षम होते हैं। कुछ भूले भटके गरीब बच्चे या जिनकी शारीरिक बनावट अच्छी है उस खेल के लिए वो बच्चे देश के लिए मेडल ले आते हैं । अगर देश को मेडल चाहिए तो गांव गांव शहर जाकर बच्चों का मेडिकली चेकअप होना चाहिए कि वह उस पार्टिकुलर खेल के लिए ठीक है या नहीं है। हमारे देश में प्रतिभा की कमी नहीं है हमने कई ऐसे लोगों को देखा है जो ट्रैक्टर को आगे से उठा देते हैं। अगर आप जंगल में जाओगे तो वहां भील के बच्चे का निशाना इतना बेहतरीन होगा कि वो तो बिलकुल आसानी से गोल्ड मेडल ले आएंगे। लोगों को जरूरत है कि भाई भतीजावाद छोड़कर देश का सम्मान बढ़ाएं। मैंने अपनी आंखों देखी ऐसे बच्चों को देखा है जो कि एक सांस में पूरा तालाब पार कर देते हैं लेकिन उनको ढूंढ कर लाएगा कौन? हमें खुद जाकर ढूंढना होगा उन्हें क्योंकि वह किसी के भतीजे या चाचा नहीं है जो सरकारी नौकरी के लालच में और सरकारी खर्चों का दुरुपयोग करते हैं उनके पास ना तो जानकारी होती है और ना ही पैसे होते हैं।
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